कम उम्र के बच्चों को हो रहा है आँखों का कैंसर ;
दुनिया में कितने तरह के रोग है, कई के तो आप नाम भी नहीं सुने होंगे और जितने सुने है उनमे एक ही रोग या बीमारी है जो सब को डराने के काबिलियत रखता है, नहीं तो अब कोण डरता है बीमारी से | उसका नाम है कैंसर, सुनने के बाद लोग चुप हो जाते है |
कैंसर और उसमे भी नाजुक अंगों में जैसे- आँख, नाक, कान
में है तो डरना लाजमी है | और यह काफी डरावना सिचुएशन हो
जाता है |
आँखों के कैंसर बढ़ गए है, इसे रेटीनोब्लास्टोमा कहते है | इसके लिए लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 8 से 14 मई तक विश्व रेटीनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है |
आज हम इन्ही के बारे में डिटेल्स में
जानेंगे की किसे और कैसे होता है | इससे बचने का क्या उपाए है
| और कितना घातक है ?
साबसे पहले यह जान लेते है की क्या होता है रेटीनोब्लास्टोमा ?
रेटीनोब्लास्टोमा एक तरह का कैंसर ही है
जो आँखों की रेटिना में होता है | रेटिना आंख के पीछे एक नर्वस
टिश्यू की एक पतली लेयर होती है, इससे एक या कभी –कभी दोनों आँखों पर भी असर पड़ता
है |
यह बीमारी जन्म के कुछ देर बाद ही शुरू
होने लगती है | यह इतना डेंजरस होता है की
आँखों के साथ बच्चे की जिन्दगी भी ख़त्म कर देता है |
यह शुरू कैसे होता है ?
सबसे पहले यह आँखों के रेटिना से एक
छोटे ट्यूमर के रूप में शुरू होता है, और साइज़ में बहुत तेजी से बढ़ता है | अगर जल्दी इलाज शुरू नहीं किया जाये तो यह
आँखों और उसके रौशनी, दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है |
आँखों से शुरू होने के बाद यह ट्यूमर आँखों
के अलावा शरीर के कई हिस्से में फ़ैल सकता है जैसे- दिमाग, हड्डी |
किस
उम्र में रेटीनोब्लास्टोमा होने का रिस्क ज्यादा है ?
नोर्मल्ली यह 5 साल से कम उम्र के
बच्चों में इसका खतरा मिलता है | लेकिन कभी-कभी यह बड़ों में भी देखने को मिलता है |
हर 15000 से 18000 जन्मे बच्चों में से
एक बच्चा, इस कैंसर से प्रभावित होता है |
वयस्कों और
बुजुर्गों में रेटीनोब्लास्टोमा होने का रिस्क न के बराबर होता है और 50 से 60 साल
के लोगों को दुसरे टाइप के आँखों का कैंसर होता है |
रेटिनोब्लास्टोमा
क्यों होता है ?
यह जानना बहुत जरुरी है- किसी भी बीमारी
के कारन जान लेने पर, हम उससे आसानी से बच सकते है | यह एक जेनेटिक्स टाइप का कैंसर है, अगर पीछे किसी फॅमिली वाले को हुआ है
तो यह होने वाले बच्चे में रेटिनोब्लास्टोमा
होने का 50 % रिस्क बढ़ जाता है |
या फिर कभी-कभी गर्भ में पल रहे बच्चे
में कुछ nutrients की कमी के कारन भी हो
जाता है |
रेतिनोब्लास्तोमा होने पर कुछ इस तरह के
लक्षण दिखते है –
- आँख सफ़ेद चमक या रिफ्लेक्सन दिखना |
- रंग की पहचान नहीं कर पाना |
- आँखों का फड़कना |
- आँखों के सफ़ेद हिस्से में रेडनेस |
- आँखों की रौशनी कमजोर होना |
- आँखों में दर्द और सुजन होना |
रेटिनोब्लास्टोमा से बचाव कैसे करे ?
जब यह कैंसर होता है तब सबसे पहले लक्षण
में आँखों में सफ़ेद चमक दिखता है | या वाइट रिफ्लेक्स दिखता है या
उपर के कोई भी लक्षण दिखता है तो सबसे पहले बच्चे को इस कैंसर से बचाने के लिए कुछ
टेस्ट कराना चाहिए, और आई स्पेशलिस्ट से दिखाना चाहिए |
आई स्पेशलिस्ट एनेस्थीसिया देकर आई
कैंसर का टेस्ट करते है | MRI स्कैन और अल्ट्रासाउंड से आँखों का टेस्ट किया जाता है |
किसी किसी को कीमोथिरेपी की भी जरूरत
पड़ती है, अगर बच्चे को कीमोथेरेपी की जरुरत पड़ती है, तो पहले उनकी हेल्थ की
टेस्टिंग चाइल्ड स्पेशलिस्ट से कराइ जाती है, उसके बाद यह प्रोसेस शुरू होता है |
इसके अलावा कभी कभी कैंसर की एडवांस
स्टेज के लिए सर्जरी कराने की एडवाइस डॉ देते है | इसके लिए इंट्रा-वेनस
कीमोथेरेपी और ब्रैकि-थेरेपी जैसे एडवांस ट्रीटमेंट भी होता है
|
इसके साथ यह भी जानना जरुरी है की इसे
समय रहते पता कर लिया जाए, तो इससे मरीज
के आँखों और रोशनी को बचा लिए जाते हैं |
अगर ट्रीटमेंट में देरी होती है तो और
सिचुएशन खतरनाक हो जाता है, कभी-कभी सर्जरी से आँख भी निकालनी पड़ती है जिससे हमेशा
के लिए दिखना बंद हो जाता है |
रेटिनोब्लास्टोमा के अलावा भी आँखों के 3 तरह के कैंसर मार्केट में मौजूद है –
आक्युलर मेलानोमा – यह
कैंसर आपको तब होता है जब आप जवान या एडल्ट होते है | मेलानोमा मतलब ट्यूमर उन सेल्स में होता है, जो आँखों के
अलावा शारीर के कई पार्ट्स में पिगमेंट के बनने में शामिल होते है |
प्राइमरी इंट्रा-आक्युलर लिम्फोमा – यह एक
इम्यून रिलेटेड कैंसर है, जो एड्स पेशेंट्स को दिखने को मिलता है | लिम्फो-साइट्स वाइट ब्लड सेल्स को कहा जाता है |
शरीर के इम्यून सिस्टम के सेल्स को
लिम्फो-केट्स और कैंसर से ग्रसित सेल्स को लिम्फोमा या लिम्फ कैंसर कहते हैं |
आक्युलर मेटास्टेसिस – कई
बार ऐसा होता है की शरीर के कई पार्ट्स में जो ट्यूमर होता है, जैसे- लंग्स कैंसर | वह भी आँखों को प्रभावित कर सकता है
| कैंसर के लिए जिम्मेदार यह सेल्स ब्लड-वेसल्स के माध्यम से
आँखों तक पहुंचते है, और नुकसान करते है |
आँखों की सेहत के लिए जरुरी टिप्स.....
नियमित आँखों की व्यायाम – आज कल लोगों को लम्बे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर काम करना आम बात हो गया है, या यूँ कहे तो यह जरुरी हो गया है | ऐसे में एक सिध में देर तक देखते रहने से आंखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है | इसके बजाय एक नियमित अंतराल पर या फिर
हर एक घंटे पर अपनी जगह से उठ कर थोड़ी देर के लिए घूम फिर लेना चाहिए साथ ही अपनी
आँखों पर ठंडे पानी की छींटे मारनी चाहिए | इसके अलावा अपनी डेली रूटीन में आँखों
की व्यायाम को जरुर शामिल करना चाहिये, इससे आँखों की क्षमता बढती है, चश्मे की
जरुरत नही पड़ती है |
अच्छे नींद – पर्याप्त नींद सिर्फ आँखों के लिए ही नहीं आपकी पूरी बॉडी के लिए बहुत जरुरी है | अगर आँखों की बात करें तो भरपूर नींद ना लेने से आँखों की कार्य प्रणाली तो गड़बड़ाती ही है साथ ही आँखों में डार्क-सर्कल भी देखने को मिलता है |
आँखों की सफाई – रोजाना आँखों की सफाई करना उतना ही जरुरी है जितना की नहाना | आँखों में जमा होने वाले धुल गन्दगी और आँखों की कणों को ठीक से साफ करने के लिए रोजाना गुनगुने पानी से आँखों को धोने का अभ्यास करें |
स्क्रीन टाइम की प्रबंधन – लम्बे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहना बहुत ही हानिकारक हो सकता है | long screen time के बाद जरुरी है की आप कुछ देर के लिए अपनी आँखों को आराम दें और उन्हें हलकी व्यायाम से रहत दें |
आँखों की जाँच – नियमित अंतराल पर आँखों की जाँच भी बहुत जरुरी है | अगर आँखों में किसी प्रकार का समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें |
सही चश्मा और लेंस- अगर किसी कारनवस आपको चश्मा पहनने की आवश्यकता है तो सही प्रकार का चश्मा या लेंस पहने और उन्हें समय समय पर बदलते रहें |
आँखों की सुरक्षा – अपनी आँखों को सुरक्षित रखने के लिए तेज धुप, धुओ, धुलकन और झटके लगने से बचाने के लिए सनग्लास पहनें |
आँखों को स्वस्थ रखने वाले फल :
हमलोग जानते है की आँखें वो दिल की खिड़की हैं जिनसे दुनिया को देखते है | अब
जब ये इतनी महत्वपूर्ण हैं, तो हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है की हम उनकी देखभाल
अच्छे से करें | आईये जानते है उन फलों के बारे में जो हमारी आँखों के लिए जरूरी
है :-
आम – आम विटामिन ए, विटामिन सी और बीटा कैरोटिन का एक अच्छा स्रोत है, जो आँखों की रोशनी को बनाए रखने में मदद करते हैं | बीटा-कैरोटिन आँखों की सेल्युलर स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करता है और रेटिना की सुरक्षा प्रदान करता है |
ब्लूबेरी – ब्लूबेरी मे अंथोसियनिन्स पाए जाते हैं, जो आँखों की सेहत को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं | यह आँखों के रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाते हैं और नये शरीर सेल्स की उत्पत्ति में मदद करती है |
पपीता – पपीता विटामिन सी, ए और बीटा-कैरोटिन का अच्छा स्रोत है, जो आँखों की स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं | यह विटामिन ए के स्रोत के रूप में कार्टिनॉयड्स को प्रदान करता है, जो आँखों की जलन और सुजन को कम करता है |
ऑरेंज – ऑरेंज में विटामिन सी और बीटा-कैरोटिन की भरपूर मात्रा होती है, जो आँखों की रक्षा करते है, और मैकुलर दिजिनरेशन जैसी बिमारियों से बचाते हैं |
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